कंप्यूटर की पीढ़ियां (Generations of Computer)

 कंप्यूटर की पीढ़ियां (Generations of Computers)

कंप्यूटर के इतिहास को चार पीढ़ियों में विभाजित किया जा सकता है, प्रत्येक पीढ़ी के अपने विशिष्ट विशेषताओं और तकनीकी उन्नयनों के साथ। आइए हर पीढ़ी पर एक नज़र डालते हैं। 

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प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर (First Generation Computers)

कंप्यूटर की पहली पीढ़ी का विकास 1940 के दशक में हुआ था और इसमें वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया गया था। ये कंप्यूटर बड़े और महंगे थे, और केवल सरल कार्यों का ही संचालन कर सकते थे। इन्हें अक्सर खराब हो जाने का खतरा भी था, जिससे इनका अनुरक्षण करना मुश्किल होता था।


इनकी सीमाओं के बावजूद, पहली पीढ़ी के कंप्यूटर कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। वे उन्नत टेक्नोलॉजी के विकास में मार्गदर्शक बने।


दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generation Computers)

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर 1950 के दशक में विकसित किए गए थे और इन कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर नामक नए इलेक्ट्रॉनिक घटकों का प्रयोग किया गया था। इससे पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर अधिक छोटे, सस्ते, विश्वसनीय और दुर्दम्य थे। इनका संचालन भी पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में अधिक सुगम हुआ।


तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generation Computers)

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का विकास 1960 के दशक में हुआ था। इसमें इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) नामक नए इलेक्ट्रॉनिक घटकों का प्रयोग किया गया था, जिससे कंप्यूटरों की स्पीड तीव्र हुई। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में सिस्टम के विभिन्न भागों को संचालित करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया।


चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (Fourth Generation Computers)

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों का विकास 1970 के दशक से शुरू हुआ। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में वॉल इंटेग्रेटेड सर्किट (VLSI) नामक इलेक्ट्रॉनिक घटकों का प्रयोग किया गया था । जो इंटीग्रेटेड सर्किट से भी छोटे थे। इससे चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों का आकार और मूल्य भी कम हुआ। इनकी प्रदर्शन क्षमता भी बढ़ी, और इन्हें उच्च स्तरीय भाषाओं में लिखा जा सकता था।


पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर (Fifth Generation Computers)

पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों का विकास 1980 के दशक में हुआ था। इनके विकास में जापान का योगदान बहुत अहम रहा। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में वॉयस कमांड, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, और ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नवीनतम तकनीकें शामिल होती हैं। इन्हें जितना जल्दी संचालित किया जाए, उतनी ही अधिक तेज होती हैं।

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इस तरह कंप्यूटर की पीढ़ियों के साथ संगत तकनीकों का उपयोग होता गया। आज के दौर में हमारे पास बहुत से उपकरण जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, डेस्कटॉप कंप्यूटर आदि हैं जिनमें चौथी और पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों की तकनीकों का उपयोग होता है। आज कंप्यूटर तकनीक के विकास से हमारी दुनिया में अनेक बदलाव हुए हैं। हम आज अपनी ज़िन्दगी के विभिन्न क्षेत्रों में कंप्यूटर का उपयोग करते हैं। स्कूल और कॉलेज में हम इसे अध्ययन करते हैं और ऑफिस में भी यह हमारी निरंतर उपयोग होता है।


कंप्यूटर तकनीक ने न केवल हमारी दुनिया को बदला है, बल्कि हमारे जीवन को भी बहुत सरल और आसान बनाया है। इसके साथ ही यह हमें नयी तकनीकों और नयी उपलब्धियों का भी द्वार खोलता है।


इस तरह कंप्यूटर तकनीक हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। आज यह दुनिया के हर क्षेत्र में उपलब्ध हो रहा है और हमारी ज़िन्दगी को बहुत सरल और आसान बना रहा है।


जेनरेशन ऑफ कंप्यूटर:
उदाहरण और उनके गुण और कमियां 

कंप्यूटर की शुरुआत से लेकर आज के दिन तक, उनकी आकार, प्रोसेसिंग पावर और डिजाइन में बड़ी बदलाव हुए हैं। इन बदलावों से कंप्यूटरों को जेनरेशन में वर्गीकृत किया गया है, जहां प्रत्येक जेनरेशन अलग-अलग गुण और कमियों के साथ होता है।

प्रथम जेनरेशन (First Generation) - 

इस जेनरेशन के कंप्यूटर 1940 और 1956 के बीच बने थे जिनमें वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया जाता था। इनकी ताकत अधिक नहीं थी और इनके प्रोसेसिंग के लिए बहुत ज्यादा समय लगता था।


द्वितीय जेनरेशन (Second Generation) - 

इस जेनरेशन के कंप्यूटर 1956 से 1963 के बीच बने थे और इनमें ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता था। ट्रांजिस्टर कंप्यूटरों की ताकत बढ़ गई थी और यह प्रोसेसिंग के लिए कम समय लेते थे।


तृतीय जेनरेशन (Third Generation) -

 इस जेनरेशन के कंप्यूटर 1964 से 1971 के बीच बने थे और इनमें इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) का उपयोग किया जाता था। ICs कंप्यूटरों की ताकत बढ़ाते थे और उनका साइज कम होता गया।


चौथी जेनरेशन (Fourth Generation) - 

इस जेनरेशन के कंप्यूटर 1971 से 1989 के बीच बने थे और इनमें VLSI चिप्स का उपयोग किया जाता था। VLSI चिप्स कंप्यूटरों की ताकत को बढ़ाते थे और उन्हें अधिक संचार क्षमता भी देते थे।


पांचवीं जेनरेशन (Fifth Generation) -

 इस जेनरेशन के कंप्यूटर 1989 से आज तक बन रहे हैं और इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाता है। यह कंप्यूटर हमारे साथ संवाद करने में सक्षम होते हैं और वे बहुत तेज होते हैं।


प्रत्येक जेनरेशन अपने अपने गुण और कमियों के साथ संचालन हुआ । 

  • प्रथम जेनरेशन कंप्यूटर बहुत बड़े थे और इनकी प्रोसेसिंग की गति धीमी थी। 
  • दूसरी जेनरेशन कंप्यूटर तेज थे लेकिन उनके साइज में अभी भी सुधार की जरूरत थी।
  • तृतीय जेनरेशन कंप्यूटरों के साइज कम हो गए थे और वे तेज भी थे।
  •   चौथी जेनरेशन कंप्यूटरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाता था जिससे इनकी स्पीड और संचार क्षमता में वृद्धि हुई। प्रत्येक जेनरेशन ने कंप्यूटरों को उनके गुण व क्षमता के साथ एक स्टेप आगे ले जाया गया था।


प्रत्येक जेनरेशन की अपनी खूबियां और कमियां होती हैं। पहले जेनरेशन के कंप्यूटरों में अत्यधिक बिजली की खपत होती थी और इन्हें प्रोग्राम करने में बहुत समय लगता था। दूसरे जेनरेशन के कंप्यूटरों में संग्रहीत डेटा को फिर से प्रिंट करने की समस्या थी जो तीसरे जेनरेशन में हल हुई। चौथे जेनरेशन के कंप्यूटरों में साइज कम हो गया था और ये ज्यादा संचार क्षमता वाले थे। पांचवे जेनरेशन के कंप्यूटर हमारे साथ संवाद कर सकते हैं और वे बहुत तेज होते हैं लेकिन इनके संचार क्षमता में समस्याएं हो सकती हैं।


आज भी नए-नए कंप्यूटरों व तकनीकों का विकास होता जा रहा है। यह कंप्यूटर और तकनीकों का उभरता हुआ काल है जो दुनिया के साथ-साथ हमारे जीव ने को भी नई संभावनाएं प्रदान की है। हम आज अपने घरों से ही इन्टरनेट के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने से संपर्क कर सकते हैं। इनके अलावा, एमआई, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, बिग डेटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी जैसी तकनीकों में भी विकास हुआ है। इन तकनीकों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है जैसे व्यापार, विज्ञान, संचार, विनिर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा में।


इन सभी तकनीकों ने हमारे जीवन को आसान और सरल बनाया है। आज हम इनके माध्यम से ऑनलाइन बैंकिंग, इंटरनेट शॉपिंग, सोशल मीडिया, ऑनलाइन खेल और मनोरंजन आदि का आनंद उठा सकते हैं। इन्हें उपयोग करना सीखना भी बहुत आसान हो गया है। हालांकि, इन तकनीकों का अधिक उपयोग करने से हम अपनी आभासी दुनिया में इतने खो जाते हैं कि हम असली दुनिया से दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, कंप्यूटरों का उपयोग न केवल वस्तुओं के वास्तविक अनुभव को बदल सकता है और समस्याओं का समाधान ढूँढ़ने की क्षमता हमसे ज्यादा कंप्यूटर पर निर्भर होने का खतरा बना सकता है। इसलिए हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हम तकनीक का उपयोग संतुलित तरीके से करते हुए उसके नकारात्मक प्रभावों से बचे।


जैसा कि देखा जा सकता है, हर एक कंप्यूटर की पीढ़ी के साथ उसकी गुणवत्ता बढ़ती चली गई है। अब तकनीक ने जीवन को बहुत ही आसान बनाया है और हमारी जिंदगी में अनेक सुविधाएं प्रदान की हैं। हालांकि, इसके साथ ही उसके नकारात्मक प्रभावों से भी सावधान रहना जरूरी है। हमें इसका ठीक से उपयोग करना सीखना चाहिए ताकि हम इसके सभी फायदों का उपयोग कर सकें। 



कंप्यूटर की पीढ़ियों में उनकी गुणवत्ता के साथ-साथ उनकी लाभों और कमियों को भी समझना जरूरी है। इसके लिए, हम अब इन पीढ़ियों के बारे में विस्तार से जानेंगे:


प्रथम पीढ़ी (1940 - 1956) - 

यह पीढ़ी वैक्यूम ट्यूब पर आधारित थी और बहुत ही बड़े आकार की मशीनों से मिलती थी। इनमें नापतंत्र, समयगणना, और लॉजिक को निर्देशित करने के लिए पंच जैसे यंत्र होते थे। इन पीढ़ियों के मुख्य फायदे थे कि वे लंबे समय तक काम कर सकते थे। हालांकि, इनमें त्रुटियाँ बहुत ज्यादा होती थीं और उन्हें ठीक करने में बहुत समय लगता था।


द्वितीय पीढ़ी (1956 - 1963) - 

इस पीढ़ी में ट्रांजिस्टर टेक्नोलॉजी का उपयोग हुआ जो इसे पहली पीढ़ी से काफी अधिक उन्नत बनाता है। इनमें कुछ उदाहरण हैं IBM 700/7000 और डिजिटल एक्कोर्ड। इन पीढ़ियों में फायदे थे कि वे बहुत तेज होते थे और कम समय में अधिक काम कर सकते थे। हालांकि, इनमें भी त्रुटियाँ होती थीं और वे बहुत महंगे होते थे।


तृतीय पीढ़ी (1964 - 1971) -

 इस पीढ़ी में इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग किया गया था जो यह सुनिश्चित करता था कि एक सिर्फ चिप में कई ट्रांजिस्टर होते हैं। इससे मशीनों का आकार कम हुआ और उन्हें ज्यादा तेज बनाने के साथ-साथ उनकी एफिशिएंसी भी बढ़ गई। इस पीढ़ी के उदाहरणों में IBM System/360 और DEC PDP (Programmed Data Processor) शामिल हैं। इन पीढ़ियों के फायदे थे कि वे अधिक तेज थे, कम बजट में उपलब्ध थे और उनकी फायदेमंद एफिशिएंसी थी। हालांकि, इनमें भी कुछ तकनीकी समस्याएं होती थीं जो ठीक करने में मुश्किल होती थीं।


चतुर्थ पीढ़ी (1971 - वर्तमान) - 

इस पीढ़ी में वह तकनीक उपयोग में लाई गई जिससे कंप्यूटर आधुनिक बने। इस पीढ़ी में विशेष रूप से माइक्रोप्रोसेसर तकनीक का उपयोग किया गया जो एक चिप में कई तरह के काम करने वाले कम्पोनेंट्स को संयुक्त करता है। इससे मशीनें और तेज हो

जाती हैं, और उनकी एफिशिएंसी भी बढ़ जाती है। इस पीढ़ी के उदाहरणों में प्रसिद्ध पीसी शामिल हैं जैसे कि Apple, IBM, HP, Dell आदि। इन कंपनियों के कंप्यूटर का उपयोग आज तक हमारे दैनिक जीवन में बहुत से कामों में किया जाता है।


जितने बढ़ते हुए कंप्यूटर की पीढ़ियों के साथ इसकी एफिशिएंसी में सुधार होता गया, वहीं इसके दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। कंप्यूटर के नुकसानों में से एक उनके उच्च मूल्य होते हैं। साथ ही उनके तंत्रिक विफलताओं और विकास की रफ़्तार में होने वाली गिरावटें भी हैं।


इसके अलावा, उनके संचालन और प्रबंधन में सुरक्षा का भी बहुत महत्व होता है। कंप्यूटर के दुर्घटनाग्रस्त होने से डाटा नुकसान हो सकता है, और इससे उस कंपनी या व्यक्ति को नुकसान हो सकता है। साथ ही, कंप्यूटर में सिक्योरिटी की कमी से उनके निजी और सार्वजनिक डेटा भी संकट में पड़ सकते हैं।


इसलिए, हमें कंप्यूटर के साथ सावधान रहना चाहिए और सुरक्षा के लिए उपयोगकर्ताओं को अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए समय-समय पर नवीनतम सुरक्षा सॉफ्टवेयर और अपडेट इंस्टॉल करना चाहिए।


कंप्यूटर की पीढ़ियों का विकास लगातार हो रहा है और नए-नए तकनीकी संभावनाएं उपलब्ध होती जा रही हैं। आज कंप्यूटर संचालन में आईएफओ (I/O) इंटरफेस जैसे कि माउस, कीबोर्ड, टचस्क्रीन आदि का उपयोग किया जाता है। वहीं, भविष्य में कंप्यूटर में आयोग और संवेदनशीलता जैसी तकनीकें विकसित हो सकती हैं।


कंप्यूटर की इस प्रकार की विकास यात्रा आज तक जारी है और इससे हमें अनेक तकनीकी उन्नतियां मिली हैं जो हमारे जीवन को सरल और आसान बनाने में मदद करती हैं। इसलिए, हमें कंप्यूटर के विकास को संरक्षित रखना और सुरक्षित उपयोग करना चाहिए।